ओम प्रकाश अश्क, कोलकाता: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव फिर तेज हो गया है। दरअसल पंचायत चुनाव के लिए नामांकन के पहले दिन बंगाल में हिंसा की खबरें आईं। इसके चलते राज्यपाल ने बंगाल चुनाव आयुक्त को राजभवन तलब किया और हिंसा पर लगाम लगाने की बात कही। राज्यपाल ने कहा कि किसी भी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उधर टीएमसी के कद्दावर नेता कुणाल घोष ने राज्यपाल को ‘बीजेपी का एजेंट' करार दिया। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए पर्चा दाखिले का काम शुरू हो गया है। पहले ही दिन जिस तरह हिंसा की खबरें आईं, उस पर राज्यपाल का रिएक्शन आया है। उन्होंने राज्य चुनाव आयुक्त को राजभवन तलब किया। हिंसा पर लगाम लगाने की बात कही। बाद में चुनाव आयुक्त ने डीएम-एसपी को हिंसा पर लगाम लगाने के लिए निर्देश दिया। टीएमसी नेता कुणाल घोष ने भी पार्टी कार्यकर्ताओं को मारपीट से बचने की सलाह दी। हालांकि इसी दौरान उन्होंने राज्यपाल की चुनावी हिंसा रोकने में दिलचस्पी देख कर तंज भी कसा, ‘वे तो बीजेपी के राजदूत हैं।' ममता सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव की वजह दरअसल पुरानी है। राज्यपाल ने चांसलर नियुक्ति पर राज्य सरकार के अध्यादेश को ठंडे बस्ते में जाल दिया है। वे खुद विश्वविद्यालयों के वीसी के ट्रांसफर और पोस्टिंग कर रहे हैं। इससे राज्य सरकार खफा है। उसे लगता है कि कैबिनेट और विधानसभा से पारित अध्यादेश के प्रस्ताव से इतर गवर्नर का निर्णय राज्य सरकार के कार्य क्षेत्र में दखल है।चांसलर नियुक्ति पर गहराया मतभेदइससे पहले पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने जब विश्वविद्यालयों में रुचि लेनी शुरू की तो ममता उन्हें चांसलर पद से हटाने के लिए प्रस्ताव ले आईं। असेंबली से भी प्रस्ताव पास हो गया और मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया। प्रस्ताव में चांसलर पद से राज्यपाल को हटा कर सीएम को चांसलर बनाने की बात थी। तभी से ममता बनर्जी ने राज्यपाल के खिलाफ हल्ला बोल अभियान शुरू कर दिया था।गवर्नर-सरकार में टकराव पुराना हैगवर्नर और स्टेट गवर्नमेंट में टकराव का पुराना इतिहास है। पश्चिम बंगाल, झारखंड, दिल्ली, तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना जैसे गैर बीजेपी शासित राज्यों में राज्य सरकार का राज्यपाल के साथ विवाद होते रहते हैं। बंगाल सरकार आरोप लगाती है कि उसके कामकाज में राज्यपाल रोड़े अटकाते हैं। तमिलनाडु में राज्य सरकार ने तो राज्यपाल आरएन रवि को वापस बुलाने की ही मांग कर दी थी। केरल ने राज्य के विश्वविद्यालयों के चांसलर पद पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की जगह शिक्षाविदों को नियुक्त करने के लिए अध्यादेश प्रस्तावित किया।
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