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Tuesday, December 19, 2023

दुनिया के टॉप 50 शैक्षणिक संस्थानों में एक भी भारतीय नहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस बारे में क्या कहा

कोलकाता/नई दिल्ली: राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया की प्राचीन ज्ञान परंपरा वाले हमारे विशाल देश का एक भी शैक्षणिक संस्थान दुनिया के शीर्ष 50 शैक्षणिक संस्थानों में शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि रैंकिंग की दौड़ अच्छी शिक्षा से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन अच्छी रैंकिंग न केवल दुनिया भर के छात्रों और प्रोफेसरों को आकर्षित करती है। इससे देश की प्रतिष्ठा भी बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में देश की सबसे पुरानी आईआईटी होने के नाते आईआईटी खड़गपुर को प्रयास करना चाहिए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आईआईटी खड़गपुर के 69वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि पूरे विश्व में हमारी आईआईटी प्रणाली की प्रतिष्ठा है। आईआईटी को प्रतिभा और प्रौद्योगिकी का इन्क्यूबेशन केंद्र माना जाता है। आईआईटी खड़गपुर को देश का पहला आईआईटी होने का गौरव हासिल है। इस संस्था ने लगभग 73 सालों की अपनी यात्रा में अनूठी प्रतिभाओं को तराशा है और देश के विकास में इसका योगदान अतुलनीय है। 21वीं सदी भारत की है आईआईटी खड़गपुर के द्वारा सरकार के आईआईटी के अंतर्राष्ट्रीयकरण और वैश्वीकरण की नीति के अनुरूप काम करने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल आईआईटी खड़गपुर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करने में मदद करेगा। यह भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईटी खड़गपुर जैसे संस्थानों को इनोवेशन और प्रौद्योगिकी के माध्यम से 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्हें तकनीक विकसित करने और उसे क्रियान्वित करने के लिए परिवर्तनकारी प्रयास करने होंगे।हर एक के लिए हो टेक्नोलॉजी राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी पर हर किसी का अधिकार होना चाहिए। इसका उपयोग समाज में खाई बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि, सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जाना चाहिए। डिजिटल भुगतान प्रणाली आम लोगों के जीवन को सरल बनाने वाली प्रौद्योगिकी का सबसे अच्छा उदाहरण है। कम्प्यूटरीकरण, सौर ऊर्जा, जीनोमिक्स और कई भाषा मॉडल ऐसे कुछ प्रयोग हैं, जो सामाजिक जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा कि 150 साल पहले जो बीमारियां लाइलाज लगती थी, उनका इलाज अब लगभग मुफ्त में किया जाता है। लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो रहा है। इस दुनिया को बेहतर और समावेशी बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका अहम है। उन्होंने सभी से विकास की ओर ले जाने वाली सोच विकसित करने का आग्रह किया। इसके साथ ही उन्हें अपने बेहतर वर्तमान के लिए देश और समाज के प्रति कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए।


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