बर्लिन: भारत और जर्मनी के बीच प्रोजेक्ट 75I के तहत डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के निर्माण को लेकर जल्द करार हो सकता है। इन पनडुब्बियों को गवर्मेंट टू गनर्मेंट डील के तहत खरीदा जाएगा। जल्द ही जर्मनी के थिसेनक्रुप एजी और भारत की मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के बीच भारतीय नौसेना के लिए छह पनडुब्बियों के निर्माण को लेकर करार हो सकता है। इस परियोजना की अनुमानित कीमत 5.2 बिलियन डॉलर आंकी जा रही है। जर्मन और भारतीय अधिकारियों ने कहा कि दो दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचे रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस की मौजूदगी में दोनों देशों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। पिस्टोरियस ने खुद कहा है कि जब वह मुंबई आएंगे तो पनडुब्बी सौदा एजेंडे में होगा। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत, जर्मनी से कौन सी पनडुब्बी खरीद रहा है।
400 मीटर की गहराई तक लगा सकती है गोता
भारत, जर्मनी से एचडीडब्लू क्लास 214 पनडुब्बी को खरीद रहा है। यह जर्मनी की थिसेनक्रुप एजी की टाइप 2014 डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों का एक क्लास है। इसे Howaldtswerke-Deutsche Werft GmbH (HDW) ने खास तौर पर निर्यात के लिए विकसित किया है। इसमें सीमेंस पॉलीमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन (PEM) हाइड्रोजन फ्यूल सेल का उपयोग करने वाला एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) सिस्टम लगा हुआ है। इस कारण एचडीडब्लू क्लास 214 पनडुब्बी को पानी के भीतर पता लगाना काफी मुश्किल है। टाइप 214 पनडुब्बी समुद्र में लगभग 400 मीटर (1,300 फीट) की गहराई तक गोता लगा सकती है। यह पनडुब्बी 84 दिनों के संचालन के लिए भोजन, ताजा पानी और ईंधन भी ले जा सकती है।ग्रीस और दक्षिण कोरिया के पास पहले से ही ये पनडुब्बी
एचडीडब्लू क्लास 214 पनडुब्बी को ग्रीस की नौसेना और दक्षिण कोरियाई नौसेना इस्तेमाल करती है। हेलेनिक नेवी ने चार पनडुब्बियों के निर्माण के लिए जर्मनी के थिसेनक्रुप एजी के साथ 15 फरवरी 2000 को करार किया था। ग्रीस की पहली पनडुब्बी का निर्माण जर्मनी के कील में किया गया और बाकी को ग्रीस के स्कारामंगस में हेलेनिक शिपयार्ड कंपनी में बनाया गया। ग्रीस की नौसेना में इसे पपनिकोलिस क्लास का नाम दिया गया है। दक्षिण कोरिया ने थिसेनक्रुप एजी को 9 की संख्या में एचडीडब्लू क्लास 214 पनडुब्बियों का ऑर्डर दिया थआ। इसे दक्षिण कोरिया में सोन वोन-II क्लास का नाम दिया गया है। इस पनडुब्बी को कोरिया में हुंडई हेवी इंडस्ट्रीज और देवू शिपबिल्डिंग एंड मरीन इंजीनियरिंग ने बनाया है।टाइप 214 की खासियतें जानें 14-2
डिसप्लेसमेंट | 1690 टन |
लंबाई-चौड़ाई | लंबाई 65 मीटर (213 फीट 3 इंच) / बीम 6,3 मीटर (20 फीट 8 इंच) / ड्राफ्ट 6 मीटर (19 फीट 8 इंच) |
प्रेशर हल | HY-100 |
हथियार | 8 x 533 मिमी टारपीडो ट्यूब, 4 सबहारपून |
प्रपल्शन | कम शोर करने वाला प्रोपेलर |
डीजल इंजन | 2 x MTU 16V-396 (3.96 MW) |
चार्जिंग जनरेटर | 2 x पिलर Ntb56.40-10 0.97 मेगावाट |
AIP सिस्टम | 2 x HDW PEM फ्यूल सेल मॉड्यूल BZM120 (120 kW x 2) |
इलेक्ट्रिक मोटर | 1 x सीमेंस पर्मासिन (2.85 मेगावाट) |
टॉप स्पीड | 10 kn सतही / 20 kn जलमग्न |
सतह पर रेंज | 19300 किमी |
पानी के अंदर रेंज | 780 किमी |
मिशन इंड्यूरेंस | 12 सप्ताह |
पानी में डूबने की सीमा | आधिकारिक तौर पर 250 मीटर (820 फीट) से अधिक, 400 मीटर अनुमानित (1312 फीट) |
2020 से ही पडुब्बियों की तलाश कर रही भारतीय नौसेना
भारतीय नौसेना 2020 से ही छह पनडुब्बियों के लिए विदेशी भागीदारों की तलाश कर रही है। जनवरी 2020 में भारत की रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने मझगांव डॉक्स लिमिटेड (एमडीएल) और लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) को पी-75 (प्रोजेक्ट-75) डील के लिए भारतीय भागीदारों के रूप में चुना था। इसका मतलब यह हुआ कि विदेशों से चुना जाने वाला भागीदार इन्हीं दो भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर भारत में इन छह पनडुब्बियों का निर्माण करेगा। इन पनडुब्बियों के निर्माण में सबसे बड़ी शर्त ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी की है।from https://ift.tt/GZskBcQ
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