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Wednesday, July 5, 2023

भरत न ऐस कय कय क खश ह गय चन गलबल टइमस न जमकर क तरफ

बीजिंग: रूस और यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही भारत को डिस्काउंट रेट में क्रूड ऑयल मिल रहा है। अभी तक भारत रूस से रुपए के बदले में क्रूड ऑयल ले रहा था। लेकिन रूस के दबाव के बाद अब भारत की रिफाइनरियों ने कुछ पेमेंट चीनी मुद्रा युआन में करना शुरू कर दिया है। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण रूस और भारत दोनों को ही पेमेंट के लिए डॉलर का विकल्प खोजना था। युआन में पेमेंट के बाद से ही चीन गदगद हो गया है। चीन के माउथपीस कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि भारत का यह कदम डी-डॉलरीकरण प्रक्रिया में एक बड़ा कदम है। इसके साथ ही उसने युआन के बढ़ते अंतर्राष्ट्रीयकरण की तारीफ की।चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि भारत के पेमेंट से युआन के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा ग्लोबल टाइम्स ने अनुसंधान केंद्र फॉर डिजिटल इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल इनोवेशन के निदेशक पैन हेलिन के हवाले से कहा कि भारत के कदम से युआन का अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव और दुनिया के बाजारों में इसकी हिस्सेदारी बढ़ेगी। वुहान यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के फाइनेंस और सिक्योरिटी इंस्टीट्यूट के निदेशक डोंग डेगक्सिन ने कहा कि यह कदम चीन, भारत और रूस में डी-डॉलरीकरण को बढ़ाएगा।

'ब्रिक्स देश नहीं चाहते डॉलर'

उन्होंने कहा कि युआन का इंटरनेशनल लेवल पर इस्तेमाल तेजी से बढ़ेगा। रूस और भारत दोनों ही BRICS के सदस्य हैं, जिसके कारण यह बाकी देशों को भी इसके इस्तेमाल के लिए प्रेरित करेगा। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक ब्रिक्स देश इंटरनेशनल ट्रेड में डॉलर के इस्तेमाल को बदलना चाहते हैं और इसीलिए इस साल के अंत में दक्षिण अफ्रीका में होने वाले शिखर सम्मेलन में एक आम मुद्रा शुरू करने पर चर्चा होगी। सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन के मुताबिक युआन की वैश्विक हिस्सेदारी अप्रैल में 2.29 फीसदी थी, जो मई में बढ़ कर 2.52 फीसदी हो गई हैं।

भारत का तेल आयात बढ़ा

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में रूस से तेल का आयात जून में रिकॉर्ड बना चुका है। जून में हर रोज इसकी मात्रा 22 लाख बैरल हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक यह खरीद सऊदी अरब और इराक के संयुक्त शिपमेंट से ज्यादा हो गई। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक युआन को लगातार दुनिया स्वीकार कर रही है और यह अमेरिका के डॉलक के एक छत्र राज को खत्म करने की लहर है। भारत से पहले पाकिस्तान ने भी डॉलर में पेमेंट किया था।


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