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Saturday, June 3, 2023

सिर्फ 6 घंटे में मां कामाख्या से मन्नत और अनादि शिवलिंग का आशीर्वाद...मोदी सरकार की ये सौगात बरसों याद रहेगी!

सुबह-सुबह अनादि शिवलिंग के दर्शन कीजिए और दोपहर होते ही मिल जाएगा मां कामाख्या का वरदान। सिर्फ 6 घंटे के अंदर आप कर पाएंगे दो बड़े धामों के दर्शन। असम जितना अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है उतना ही इसका धार्मिक महत्व भी है। घूमने-फिरने के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी यहां हर साल दर्शन के लिए आते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई सौगात गुवाहाटी से न्यू जलपाईगुड़ी तक चलने वाली वंदे भारत ( Guwahati to New Jalpaiguri Vande Bharat) श्रद्धालुओं के लिए लिए भी किसी बड़ी मुराद से कम नहीं है। जी हां इन दो धामों को पूरा करने के लिए पहले भक्तों को करीब दस-ग्यारह घंटे का वक्त लगाना पड़ता था, लेकिन अब वंदे भारत की वजह से असम (Assam) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) के दो बड़े तीर्थ स्थल आप सिर्फ 6 घंटे में देख सकते हैं।

असम और पश्चिम बंगाल के 2 बड़े तीर्थ स्थल के दर्शन सिर्फ 6 घंटे में

असम के कामाख्या देवी मंदिर का महत्व

हम आपको बताएंगे वंदे भारत ने कैसे ये संभव किया है, लेकिन उससे पहले इन दो तीर्थ स्थलों का महत्व जान लीजिए। कामाख्या देवी मंदिर (Kamakhya Devi Temple) असम के गुवाहाटी में है। ये मां सती का मंदिर है और इसे देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। कहते हैं जब भगवान विष्णु ने शिव का मोह भंग करने के लिए माता सती के मृत शरीर के टुकड़े-टुकड़े किए थे तो यहां मां सति का योनी का हिस्सा गिरा था। आज भी यहां मां के उसी रूप की पूजा होती है। इस मंदिर को काफी सिद्ध माना जाता है। यहां तक की तंत्र-मंत्र और साधना की भी यहां बड़ी मान्यता है। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में जो भी मन्नत मांगी जाए वो जरूर पूरी होती है।

पश्चिम बंगाल के अनादि शिवलिंग की मान्यता

अब जान लीजिए पश्चिम बंगाल के अनादि शिवालिंग का महत्व। सिलिगुड़ी में बने जलपेश मंदिर की काफी ज्यादा मान्यता है और यहां पर जो शिविंग स्थापित है उसे अनादि शिवलिंग के नाम से जाना जाता है। ये पश्चिम बंगाल के जिले जलपाईगुड़ी में आता है। अनादि शिवलिंग बेहद प्राचीन है। कहते हैं ये मंदिर करीब 350 साल पुराना है। हर साल शिवरात्रि के मौके पर यहां पूरे देश से श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है। भक्तों की मान्यता है कि अगर तीस्ता नदी के जल को इस शिवलिंग पर चढ़ाया जाए तो कोई कष्ट नजदीक नहीं आता। ये मंदिर 1870 में भूकंप की वजह से बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था और फिर रानी जोगेश्वरी देवी ने इसका पुनर्निर्माण किया।

वंदे भारत ट्रेन से साढ़े 6 घंटे से कम समय में दूरी होगी तय

खैर ये तो ही इन दो मंदिरों की मान्यता है जिसकी वजह से भक्त यहां खींचे चले आते हैं, लेकिन अब तक यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक ही दिन में इन दो मंदिरों के दर्शन करना बेहद मुश्किल था। अब तक न्यू जलपाईगुड़ी से गुवाहाटी की दूरी तय करने में करीब 10 से 11 घंटे का वक्त लग जाता था। समय की कमी की वजह से कई बार लोग कामाख्या देवी के दर्शन के बाद जलपेश मंदिर जा ही नहीं पाते थे, लेकिन अब वंदे भारत (Vande Bharat) इसी दूरी को महज साढे 5 घंटे में तय कर रही है।

सुबह 6 बजे न्यू जलापाईगुड़ी से चल रही है वंदे भारत ट्रेन

सुबह अगर आप न्यू जलपाईगुड़ी में अनादि शिवलिंग के दर्शन करते हैं तो उसी दिन दोपहर तक आप कामाख्या देवी के मंदिर में भी पहुंच सकते हैं और मां का आशीर्वाद ले सकते हैं। वंदे भारत सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर न्यू जलपाईगुड़ी से चलेगी और दोपहर करीब 12 बजे गुवाहाटी पहुंच जाएगी। यानी सुबह की आरती के वक्त आप जलपेश मंदिर में अनादि शिवलिंग पूजा कर सकते हैं और फिर उसके बाद दोपहर में मां के शक्तिपीठ के दर्शन कर सकते हैं।


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