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Saturday, June 10, 2023

मिशन 2024 से पहले कांग्रेस में बड़ा फेरबदल, दीपक बाबरिया और शक्तिसिंह गोहिल के सामने क्या हैं चुनौतियां, जानिए

अहमदाबाद/चंडीगढ़: आगामी 2024 के मद्देनजर शुक्रवार को कांग्रेस के भीतर काफी बदलाव देखने को मिला। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के कमान संभालने के बाद पार्टी ने आगामी लोकसभा के मद्देनजर अपने घर में सुधार व फेरबदल का काम पहले ही चालू कर दिया है। इसी के तहत शुक्रवार को पार्टी ने कुछ अहम बदलाव किए , जिसमें उन्होंने शक्ति गोहिल से दिल्ली व हरियाणा का प्रभार लेकर उन्हें गुजरात में प्रदेशाध्यक्ष बनाकर भेजने का फैसला किया है। शुक्रवार को कांग्रेस संगठन महासचिव के सी वेणुगाेपाल की ओर से जारी बयान में यह जानकारी साझा की गई। वहीं गुजरात से आने वाले दीपक बावरिया को दिल्ली व हरियाणा का प्रभार दिया गया है। बावरिया इससे पहले काफी अर्से तक मध्य प्रदेश के प्रभारी रहे। जहां उन्होंने 2020 में अपनी खराब सेहत के चल प्रभारी पद से इस्तीफा दिया था। इस बीच पार्टी बावरिया का इस्तेमाल जरूरत के मुताबिक विभिन्न परियोजनाओं में करती रही।

दिल्ली और हरियाणा में क्या है चुनौती?

कर्नाटक के हालिया चुनाव के बाद विधायक दल का नेता चुने जाने के लिए पर्यवेक्षकों की जो तीन सदस्यी टीम बेंगलुरू भेजी गई थी, बावरिया उसके भी अहम हिस्सा रहे हैं। बावरिया के लिए दिल्ली व हरियाणा दोनों ही बड़ी चुनौती मानी जा रही है। दिल्ली में पिछले लोकसभा चुनावाें में कांग्रेस लगभग सभी सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। चर्चा है कि आप यहां कांग्रेस के साथ हाथ मिलाना चाहती है। ऐसे में बावरिया के दिल्ली के किले में पार्टी के हितों को ध्यान रखना बड़ी चुनौती होगा। चर्चा यह भी है कि दिल्ली में प्रदेश अध्यक्ष बदला जाए। वहीं दूसरी ओर हरियाणा में लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों बाद ही प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस हरियाणा में अपने लिए खासी संभावनाएं देख रही है। ऐसे में बावरिया उसे संभावनाओं को कहां तक आगे बढ़ा पाते हैं, यह देखना भी रोचक होगा। हरियाणा में उनके लिए एक बड़ी चुनौती प्रदेश के सीनियर नेताओं के बीच जारी आपसी खींचतान हैं। पूर्व सीएम बी एस हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला जैसे नेताओं के अपने अपने खेमे हैं। ऐसे में इन सीनियर नेताओं को साधकर सभी को साथ लेकर चलना बावरिया के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी।

गुजरात लीडरशिप में बदलाव

वहीं गुजरात में नेता प्रतिपक्ष रह चुके गोहिल प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर जगदीश ठाकोर की जगह लेंगे। चर्चा है कि पार्टी गुजरात के लिए जल्द ही नए प्रभारी की घोषणा कर सकती है। दरअसल, गुजरात प्रभारी रघु शर्मा ने 2022 के गुजरात चुनावों में पार्टी की शर्मनाक हार के बाद इस्तीफा दे दिया था। पिछले चुनाव में कांग्रेस को 182 में से सिर्फ 17 सीट पर जीत मिली थी। हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने भी पद छोड़ने की पेशकश की थी।गुजरात के अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस ने काफी प्रयोग किए, भरत सिंह सोलंकी के बाद अमित चावड़ा और जगदीश ठाकोर को कमान दी गई, लेकिन कुछ खास असर नहीं दिखा। गोहिल के बारे में कहा जा रहा है कि वह प्रदेश के फिलहाल वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं। गुजरात सरकार में मंत्री रहने के साथ-साथ नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। गोहिल अहमद पटेल कैंप के नेता माने जाते हैं। इसलिए उनकी गुजरात से दिल्ली के बीच पकड़ भी बनती गई। अहमद पटेल के सामने ही वह केंद्रीय कांग्रेस में संगठन की भूमिका में आ गए जिसके चलते उनकी दिल्ली पर पकड़ बनी और हाईकमान से सीधे संपर्क में आ गए।

गुजरात में गुटबाजी से गुजर रही कांग्रेस

पार्टी को लगता है कि उनके इन तमाम अनुभवों के चलते गुजरात में संगठन को खड़ा करने में मदद मिलेगी। गुजरात कांग्रेस के एक नेता का कहना था कि सोलंकी के बाद जिन दोनों नेताओं को कमान मिली, उनकी दिल्ली में सुनवाई ही नहीं थी। दूसरा, पार्टी वहां काफी खस्ताहाल और गुटबाजी से गुजर रही है। ऐसे में प्रदेश में लोगों को लग रहा है कि गोहिल इन तमाम चीजों पर लगाम लगा पाएंगे। लोग उनकी सुनेंगे, वह पार्टी में बढ़ी दूरियों को भरकर सबको साथ लेकर चल सकते हैं। इसके अलावा, मीडिया से उनके सहज रिश्ते भी उनकी खूबी बताए जाते हैं। जहां तक चुनावी पिच की बात है तो गोहिल कर सियासी सफर में हार-जीत दोनों का हिस्सा साथ-साथ चला।

कई राज्यों के बदले जाएंगे प्रभारी

कांग्रेस की ओर जारी बयान के मुताबिक, कांग्रेस ने सांसद वी वैथिलिंगम को पुडुचेरी प्रदेश इकाई और महाराष्ट्र सरकार की पूर्व मंत्री वर्षा गायकवाड को मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया है। पार्टी ने अपने दो नेताओं मंसूर अली खान और पीसी विष्णुनाथ को तेलंगाना के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव की जिम्मेदारी सौंपी है। उल्लेखनीय है कि तेलंगाना में इसी साल के आखिर में चुनाव होने हैं। वहीं चर्चा है कि जल्द ही कांग्रेस में कई और राज्यों के प्रभारियों में बदलाव देखने को मिल सकता है। दरअसल, नया कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद हमेशा संगठन में बदलाव देखने को मिलता है। इसमें कुछ राज्यों में अध्यक्ष पद पर बदलाव तो कुछ राज्यों में प्रभारियों में बदलाव देखने को मिल सकता है। यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी का भी प्रभार बदलने की चर्चा है। कहा जाता है कि उन्होंने यूपी की जिम्मेदारी से मुक्त होने की इच्छा हाईकमान के सामने जताई है।


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