नई दिल्ली: माले में भारतीय उच्चायोग ने मालदीव के कुछ सांसदों की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियों का मुद्दा रविवार को मालदीव सरकार के समक्ष उठाया। इससे पहले, मालदीव सरकार ने टिप्पणियों से खुद को अलग करते हुए इसे संबंधित सांसदों के निजी विचार करार दिया और कहा कि ये सरकार का आधिकारिक रुख नहीं है। सूत्रों ने कहा कि माले में भारतीय हाईकमीशन ने प्रधानमंत्री मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर की गईं कुछ पोस्ट पर आपत्ति जताई है।मालदीव के एक सांसद ने मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद उनकी आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि नयी दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश को मालदीव के वैकल्पिक पर्यटन स्थल के रूप में पेश करने का प्रयास कर रही है। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'मालदीव की सरकार विदेशी नेताओं और उच्च पदस्थ लोगों के खिलाफ सोशल मीडिया मंचों पर की गई अपमानजनक टिप्पणियों से अवगत है। ये विचार व्यक्तिगत हैं और मालदीव की सरकार के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।' बयान के मुताबिक, मालदीव सरकार का मानना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल लोकतांत्रिक और जिम्मेदाराना तरीके से किया जाना चाहिए, इनसे घृणा तथा नकारात्मकता नहीं फैलनी चाहिए और मालदीव तथा उसके अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के बीच घनिष्ठ संबंधों में बाधा नहीं आनी चाहिए। उसने चेतावनी दी कि सरकार के संबंधित अधिकारी ऐसी अपमानजनक टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में कोई संकोच नहीं करेंगे। मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है और माले की पिछली सरकार में दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति देखी गई। नये राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को चीन का करीबी माना जाता है। लगभग एक महीने पहले पदभार संभालने के बाद मुइज्जू ने मालदीव से भारतीय सैन्यकर्मियों की वापसी का आह्वान किया था।
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