अमितेश सिंह, गाजीपुर: गैंगस्टर एक्ट में 4 साल की सजा होने के बाद सुप्रीम कोर्ट से सशर्त राहत मिलने पर की सांसदी एक बार फिर बहाल हो गई। 29 अप्रैल 2023 को लोअर कोर्ट से सजा होने के बाद लोकसभा सचिवालय ने उनकी संसद सदस्यता निरस्त कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद अफजाल अंसारी अब लोगों से मिलजुल रहे हैं। हाल की उनकी गतिविधियों को लोकसभा 2024 से जोड़कर देखा जा रहा है । अफजाल अंसारी ने 2024 के लोकसभा चुनाव को लड़ने की इच्छा जाहिर की है। ऐसे में भाजपा खेमे में भी अफजाल अंसारी के मुकाबले खड़े होने वाले कैंडिडेट के नामों को लेकर चर्चा जोरों पर है। गाजीपुर के सियासी समीकरण को समझने के लिए एनबीटी ऑनलाइन ने राजनीतिक विश्लेषक डॉ. शम्मी सिंह से संपर्क किया। शम्मी ने बताया कि लोकसभा चुनाव में कुछ ही महीने रह गए हैं। ऐसे में सियासी चर्चा होना सामान्य बात है। अफजाल अंसारी एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट से सशर्त राहत मिलने के बाद लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी करते हुए बताई जा रहे हैं। वहीं भाजपा खेमे में भी उनके मुकाबले कैंडिडेट को लेकर चर्चा होना सहज बात है। वर्तमान में बात करें तो बीजेपी के लिए मनोज सिन्हा से बेहतर विकल्प फिलहाल नहीं है। मनोज सिन्हा की छवि साफसुथरी है। अपने अब तक के राजनीतिक जीवन में वह गाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ते रहे हैं। इसके साथ ही एनडीए एक के कार्यकाल के दौरान वह केंद्र सरकार के दो महत्वपूर्ण मंत्रालयों का काम का संभालते हुए गाजीपुर में कई विकास से जुड़े काम भी करने के लिए जाने जाते हैं। केंद्र सरकार के ओर से दी गई उनकी वर्तमान जिम्मेदारियां को भी काफी सराहा जा रहा है। जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के बाद वह कुशल प्रशासन के तौर पर उभर कर सामने आए हैं। पार्टी की ओर से अगर मनोज सिन्हा को कैंडिडेट बनाया जाता है तो इसका फायदा बीजेपी को उनकी राजनीतिक छवि के संदर्भ में होगा। साथ अगर गाजीपुर में त्रिकोणीय लड़ाई होती है, तो सीधे फायदा बीजेपी को मिलेगा । एक सवाल के जवाब में शम्मी ने बताया कि मनोज सिन्हा के बेटे अभिनव सिंह भी जनसंपर्क कर रहे हैं। विकल्प के तौर पर उनके नाम पर भी पार्टी विचार कर सकती है। यह चर्चा भी जोरों पर है कि एनडीए के घटक दल सुभासपा के खाते में गाजीपुर संसदीय सीट डाली जा सकती है। आंकड़े बताते हैं कि गाजीपुर के सभी विधानसभा में राजभर वोट निर्णायक संख्या में है। ऐसे में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी भी गाजीपुर संसदीय सीट पर बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। इस सीट पर कभी सुभासपा में कोटे से बृजेश सिंह को चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर थी। लेकिन, ओमप्रकाश राजभर के बेटे और पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अरुण राजभर ने गाजीपुर में ही इस संभावनाओं को पिछले दिनों दरकिनार कर दिया था। हालांकि भाजपा के संगठन के भी कई लोग 2024 के चुनाव को लेकर अपनी दावेदारी पेश करने वास्ते पॉलिटिकल लॉबी में जुट गए हैं।
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